मैं, पापा और हमारी 'प्रिया'
आगे आगे दौड़ती ज़िंदगी और दूर कहीं पीछे छूट गया मेरा घर, मेरे पापा और उनकी पीली स्कूटर 'प्रिया', जिसपे बिठा के उन्होने मुझे बचपन में दुनिया घुमाई...
बचपन की कितनी सारी खुशनुमा यादें हैं जो सिर्फ़ पापा की स्कूटर पे बैठ के पुर शहर भर के चक्कर काटने से जुड़ी हैं..जब भी पापा स्कूटर स्टेंड से उतारते तो मैं और मेरा भाई घर के किसी भी कोने मे हों, तुरंत चौकन्ने हो जाते थे की कहाँ गयी मेरी चप्पल..?? :p
इस से पहले की पापा अकेले ही निकल जाएँ हम दोनो को अपनी अपनी चप्पल ढूंढ के रेडी रहना होता था.. :D :D फिर बस धीरे से मुस्कुराते हुए पापा की नज़र के आगे आ जाना होता था और पापा पूछते ही थे.."चलोगे क्या??"
.........और हम दोनो अपने दाँत चीकार देते..फिर क्या, भैया पीछे बैठ जाते और हम आगे खड़े होते थे.. :))
पापा को जाना कहीं भी हो, स्कूटर लौट के आती कटरा के चन्द्रा स्वीट्स और नेतराम के सामने से ही थी...उस ट्रिप का सबसे सुहाना पार्ट ही यही होता था जब पापा अपना सब काम-वाम ख़तम कर के अपनी स्कूटर मैंगो शेक की दुकान के बाहर खड़ी कर देते थे..जहाँ हम दोनो को बोलना नही पड़ता था पापा अपने आप ही पूछते थे..क्या पियोगे..मैंगो शेक, लस्सी या कोल्ड ड्रिंक?? और हम दोनो फिर अपने दाँत चीकार के सोचते थे कि पिछली बार क्या पिया था और आज क्या पीना चाहिए
वैसे मोस्ट्ली हम दोनो माँगो शेक ही पीते थे..क्योंकि घर पे मिक्सी थी नहीं और लस्सी तो घर मे भी बन सकती थी..लेकिन जब पहली बार चन्द्रा स्वीट्स की लस्सी पी तो I was like..Wow..!! ये तो घर वाली लस्सी से काफ़ी ज़्यादा अच्छी है..उसमे उपर से आइस्क्रीम जो डाली थी 2 स्कूप :p
हम दोनो की तुलना मे हमारा बड़ा भाई और दीदी थोड़े शांत और सभ्य किस्म के थे...
मुझे याद नहीं उन दोनो ने कभी किसी ऐसी चीज़ के लिए ज़िद्द की हो या बहुत एग्ज़ाइटमेंट दिखाया हो...वो दोनो 2-3 महीने मे सिर्फ़ एक बार सिविल लाइन्स मे मालविया का डोसा खा के और गोल्ड स्पॉट पी के भी खुश रह लेते थे...एक बार तो याद है मुझको कि ट्रॅफिक के सारे रूल्स तोड़ के पापा हम चारों भाई-बहन को अपनी स्कूटर पे बिठा के ले गये थे सिविल लाइन्स :D
अहा! क्या सुहाने दिन थे वो...... :)
कभी देर से सो के उठे, स्कूल की ट्रॉली छूट गयी तो पापा की स्कूटर ज़िंदाबाद! या फिर कभी बारिश हो गयी तो भी :) जिस दिन पापा स्कूल की छुट्टी मे स्कूटर से लेने आते उस दिन चुरमुरे वाले से चुरमुरा ले के मेरा इंतज़ार करते और हज़ारों बच्चों की भागती दौड़ती भीड़ में भी मुझे आता हुआ ढूँढ कर दूर से मुस्कुराते हुए हाथ हिलाते..फिर मैं भाग क उनके पास आ जाती थी.. :) :)
किस्से तो कितने और भी हैं और सब तुम्हारी गोदी मे फिर से बैठ के बाँटने भी हैं..आ जाओ ना पापा जल्दी से मेरे पास...I miss you so much. My fathers' day would have been happier if we could go on a joyride on your scooter.... once again. I remember, when I was a little girl I used to tell mom that when I would grow up I would marry you. She would always laugh at my naivete. Being away from you I feel lonely at heart sometimes.There are so many things in my life today that I should truly be happy about.. be it a caring life partner or a lovely daughter or the company of my own sister here, but your absence is a constant void. Do come soon. We will go on a scooter ride, and once again drive around happily.

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